
हम पे हँसती है जो दुनियाँ उसे देखा ही नहीं,
हमने उस शोख को जो दीदा-ए-तर देखा है|
मजरूह सुल्तानपुरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
हम पे हँसती है जो दुनियाँ उसे देखा ही नहीं,
हमने उस शोख को जो दीदा-ए-तर देखा है|
मजरूह सुल्तानपुरी