
वो तो हैं कहीं और मगर दिल के आस पास,
फिरती है कोई शै निगाह-ए-यार की तरह|
मजरूह सुल्तानपुरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
वो तो हैं कहीं और मगर दिल के आस पास,
फिरती है कोई शै निगाह-ए-यार की तरह|
मजरूह सुल्तानपुरी
वाह वाह |
हार्दिक धन्यवाद जी।