
पीते तो हमने शैख़ को देखा नहीं मगर,
निकला जो मै-कदे से तो चेहरे पे नूर था|
आनंद नारायण ‘मुल्ला’
आसमान धुनिए के छप्पर सा
पीते तो हमने शैख़ को देखा नहीं मगर,
निकला जो मै-कदे से तो चेहरे पे नूर था|
आनंद नारायण ‘मुल्ला’