
कहीं बारूद फूलों में, कहीं शोले शिगूफ़ों में,
ख़ुदा महफ़ूज़ रक्खे, है यही जन्नत निशाँ मेरा|
बेकल उत्साही
आसमान धुनिए के छप्पर सा
कहीं बारूद फूलों में, कहीं शोले शिगूफ़ों में,
ख़ुदा महफ़ूज़ रक्खे, है यही जन्नत निशाँ मेरा|
बेकल उत्साही