
यहाँ लिबास, की क़ीमत है आदमी की नहीं,
मुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे|
बशीर बद्र
आसमान धुनिए के छप्पर सा
यहाँ लिबास, की क़ीमत है आदमी की नहीं,
मुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे|
बशीर बद्र