
मैं इसलिये मनाता नहीं वस्ल की ख़ुशी,
मेरे रक़ीब की न मुझे बददुआ लगे|
क़तील शिफ़ाई
आसमान धुनिए के छप्पर सा
मैं इसलिये मनाता नहीं वस्ल की ख़ुशी,
मेरे रक़ीब की न मुझे बददुआ लगे|
क़तील शिफ़ाई