
गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं,
हम चराग़ों की तरह शाम से जल जाते हैं|
क़तील शिफ़ाई
आसमान धुनिए के छप्पर सा
गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं,
हम चराग़ों की तरह शाम से जल जाते हैं|
क़तील शिफ़ाई