
रस्ता न भूलिएगा, दुखों के मकान का,
जिस ओर को दुआर है, जामुन का पेड़ है।
सूर्यभानु गुप्त
आसमान धुनिए के छप्पर सा
रस्ता न भूलिएगा, दुखों के मकान का,
जिस ओर को दुआर है, जामुन का पेड़ है।
सूर्यभानु गुप्त