
आँसुओं और शराबों में गुजारी है हयात,
मैंने कब देखी थी बरसात मुझे होश नहीं|
राहत इन्दौरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
आँसुओं और शराबों में गुजारी है हयात,
मैंने कब देखी थी बरसात मुझे होश नहीं|
राहत इन्दौरी