
झुलस रहे हैं यहाँ छाँव बाँटने वाले,
वो धूप है कि शजर इलतिजाएँ करने लगे|
राहत इन्दौरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
झुलस रहे हैं यहाँ छाँव बाँटने वाले,
वो धूप है कि शजर इलतिजाएँ करने लगे|
राहत इन्दौरी
Such a beautiful photo. Thank you very much.
Thanks a lot ji.