
तारीख़ की आँखों में धुआँ हो गए ख़ुद ही,
तुमको तो कोई घर भी जलाना नहीं आता।
वसीम बरेलवी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
तारीख़ की आँखों में धुआँ हो गए ख़ुद ही,
तुमको तो कोई घर भी जलाना नहीं आता।
वसीम बरेलवी