
यों लगता है सोते जागते औरों का मोहताज हूँ मैं,
आँखें मेरी अपनी हैं पर उनमें नींद पराई है|
क़तील शिफ़ाई
आसमान धुनिए के छप्पर सा
यों लगता है सोते जागते औरों का मोहताज हूँ मैं,
आँखें मेरी अपनी हैं पर उनमें नींद पराई है|
क़तील शिफ़ाई