
जो भी गुंचा तेरे होठों पर खिला करता है,
वो मेरी तंगी-ए-दामाँ का गिला करता है|
क़तील शिफ़ाई
आसमान धुनिए के छप्पर सा
जो भी गुंचा तेरे होठों पर खिला करता है,
वो मेरी तंगी-ए-दामाँ का गिला करता है|
क़तील शिफ़ाई