
बुत भी रक्खे हैं नमाज़ें भी अदा होती हैं,
दिल मेरा दिल नहीं अल्लाह का घर लगता है|
बशीर बद्र
आसमान धुनिए के छप्पर सा
बुत भी रक्खे हैं नमाज़ें भी अदा होती हैं,
दिल मेरा दिल नहीं अल्लाह का घर लगता है|
बशीर बद्र