
अपने बदन के ख़ोल में मैं बंद हो गया,
मुझको मिली कल एक जो लड़की खुली हुई|
सूर्यभानु गुप्त
आसमान धुनिए के छप्पर सा
अपने बदन के ख़ोल में मैं बंद हो गया,
मुझको मिली कल एक जो लड़की खुली हुई|
सूर्यभानु गुप्त