
कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त,
सबको अपनी ही किसी बात पे रोना आया|
साहिर लुधियानवी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त,
सबको अपनी ही किसी बात पे रोना आया|
साहिर लुधियानवी