
तुम अपने कलेजे पे ज़रा हाथ तो रक्खो,
क्यूँ अब भी कहोगे के तड़पना नहीं आता|
आनंद नारायण मुल्ला
आसमान धुनिए के छप्पर सा
तुम अपने कलेजे पे ज़रा हाथ तो रक्खो,
क्यूँ अब भी कहोगे के तड़पना नहीं आता|
आनंद नारायण मुल्ला