
ज़ाहिद से ख़ताओं में तो निकलूँगा न कुछ कम,
हाँ मुझको ख़ताओं पे पनपना नहीं आता|
आनंद नारायण मुल्ला
आसमान धुनिए के छप्पर सा
ज़ाहिद से ख़ताओं में तो निकलूँगा न कुछ कम,
हाँ मुझको ख़ताओं पे पनपना नहीं आता|
आनंद नारायण मुल्ला