
भूले थे उन्हीं के लिए दुनिया को कभी हम,
अब याद जिन्हें नाम भी अपना नहीं आता|
आनंद नारायण मुल्ला
आसमान धुनिए के छप्पर सा
भूले थे उन्हीं के लिए दुनिया को कभी हम,
अब याद जिन्हें नाम भी अपना नहीं आता|
आनंद नारायण मुल्ला