
आख़िर हटा दीं हमने भी ज़ेहन से किताबें,
हमने भी अपना जीना आसान कर लिया है|
राजेश रेड्डी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
आख़िर हटा दीं हमने भी ज़ेहन से किताबें,
हमने भी अपना जीना आसान कर लिया है|
राजेश रेड्डी