
उसे पाक नज़रों से चूमना भी इबादतों में शुमार है,
कोई फूल लाख क़रीब हो कभी मैंने उसको छुआ नहीं|
बशीर बद्र
आसमान धुनिए के छप्पर सा
उसे पाक नज़रों से चूमना भी इबादतों में शुमार है,
कोई फूल लाख क़रीब हो कभी मैंने उसको छुआ नहीं|
बशीर बद्र
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