
यूँ किसी की आँखों में सुब्ह तक अभी थे हम,
जिस तरह रहे शबनम फूल के प्यालों में|
बशीर बद्र
आसमान धुनिए के छप्पर सा
यूँ किसी की आँखों में सुब्ह तक अभी थे हम,
जिस तरह रहे शबनम फूल के प्यालों में|
बशीर बद्र