
दुनिया है ये किसी का न इसमें क़ुसूर था,
दो दोस्तों का मिल के बिछड़ना ज़रूर था|
आनंद नारायण मुल्ला
आसमान धुनिए के छप्पर सा
दुनिया है ये किसी का न इसमें क़ुसूर था,
दो दोस्तों का मिल के बिछड़ना ज़रूर था|
आनंद नारायण मुल्ला