
ये दिल बचकर ज़माने भर से चलना चाहे है लेकिन,
जब अपनी राह चलता है अकेला होने लगता है|
वसीम बरेलवी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
ये दिल बचकर ज़माने भर से चलना चाहे है लेकिन,
जब अपनी राह चलता है अकेला होने लगता है|
वसीम बरेलवी
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