उनसे जो थी गुफ़्तुगू वो ख़त्म हुई!

हमारी उनसे जो थी गुफ़्तुगू वो ख़त्म हुई,
मगर सुकूत सा कुछ दरमियान बाक़ी है|

जावेद अख़्तर

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