हज़ार रंग में डूबी हुई हवा क्यूँ है!

अगर तबस्सुम-ए-ग़ुंचा की बात उड़ी थी यूँही,
हज़ार रंग में डूबी हुई हवा क्यूँ है|

राही मासूम रज़ा

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