
सूनी दुनिया में अब तो मैं हूँ और,
मातम-ए-इश्क़-ए-आँ-जहानी है|
फ़िराक़ गोरखपुरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
सूनी दुनिया में अब तो मैं हूँ और,
मातम-ए-इश्क़-ए-आँ-जहानी है|
फ़िराक़ गोरखपुरी