
मैं हूँ भी और नहीं भी अजीब बात है ये,
ये कैसा जब्र है मैं जिसके इख़्तियार में हूँ|
मुनीर नियाज़ी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
मैं हूँ भी और नहीं भी अजीब बात है ये,
ये कैसा जब्र है मैं जिसके इख़्तियार में हूँ|
मुनीर नियाज़ी