दर्द-ए-दिल है बख़्शिश-ए-दोस्त!

ऐ ख़ुदा दर्द-ए-दिल है बख़्शिश-ए-दोस्त,
आब-ओ-दाना नहीं कि तुझ से कहें|

अहमद फ़राज़

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