बा-शौकत-ए-शाहाना हम!

राह में फ़ौजों के पहरे सर पे तलवारों की छाँव,
आए हैं ज़िंदाँ में भी बा-शौकत-ए-शाहाना हम|

अली सरदार जाफ़री

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