
दुनिया से हट के इक नई दुनिया बना सकें,
कुछ अहल-ए-आरज़ू इसी हसरत में मर गए|
महेश चंद्र नक़्श
आसमान धुनिए के छप्पर सा
दुनिया से हट के इक नई दुनिया बना सकें,
कुछ अहल-ए-आरज़ू इसी हसरत में मर गए|
महेश चंद्र नक़्श