
क्यूँ मिरी शक्ल पहन लेता है छुपने के लिए,
एक चेहरा कोई अपना भी ख़ुदा का होता|
गुलज़ार
आसमान धुनिए के छप्पर सा
क्यूँ मिरी शक्ल पहन लेता है छुपने के लिए,
एक चेहरा कोई अपना भी ख़ुदा का होता|
गुलज़ार