मैं वो ख़ार नहीं हूँ!

वो गुल हूँ ख़िज़ाँ ने जिसे बर्बाद किया है,
उलझूँ किसी दामन से मैं वो ख़ार नहीं हूँ|

अकबर इलाहाबादी

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