
‘वसीम’ सुब्ह की तन्हाई-ए-सफ़र सोचो,
मुशाएरा तो चलो रात भर का हो जाए|
वसीम बरेलवी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
‘वसीम’ सुब्ह की तन्हाई-ए-सफ़र सोचो,
मुशाएरा तो चलो रात भर का हो जाए|
वसीम बरेलवी