
तिरा हुस्न सो रहा था मिरी छेड़ ने जगाया,
वो निगाह मैंने डाली कि सँवर गई जवानी|
नज़ीर बनारसी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
तिरा हुस्न सो रहा था मिरी छेड़ ने जगाया,
वो निगाह मैंने डाली कि सँवर गई जवानी|
नज़ीर बनारसी