
कोई हम-दम न रहा कोई सहारा न रहा,
हम किसी के न रहे कोई हमारा न रहा|
मजरूह सुल्तानपुरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
कोई हम-दम न रहा कोई सहारा न रहा,
हम किसी के न रहे कोई हमारा न रहा|
मजरूह सुल्तानपुरी