
दाग़ दामन के हों दिल के हों कि चेहरे के ‘फ़राज़’,
कुछ निशाँ उम्र की रफ़्तार से लग जाते हैं|
अहमद फ़राज़
आसमान धुनिए के छप्पर सा
दाग़ दामन के हों दिल के हों कि चेहरे के ‘फ़राज़’,
कुछ निशाँ उम्र की रफ़्तार से लग जाते हैं|
अहमद फ़राज़