
कहाँ अब दुआओं की बरकतें वो नसीहतें वो हिदायतें,
ये मुतालबों का ख़ुलूस है ये ज़रूरतों का सलाम है|
बशीर बद्र
आसमान धुनिए के छप्पर सा
कहाँ अब दुआओं की बरकतें वो नसीहतें वो हिदायतें,
ये मुतालबों का ख़ुलूस है ये ज़रूरतों का सलाम है|
बशीर बद्र