
हुकूमतों को बदलना तो कुछ मुहाल नहीं,
हुकूमतें जो बदलता है वो समाज भी हो|
निदा फ़ाज़ली
आसमान धुनिए के छप्पर सा
हुकूमतों को बदलना तो कुछ मुहाल नहीं,
हुकूमतें जो बदलता है वो समाज भी हो|
निदा फ़ाज़ली