
इतना आसाँ नहीं लफ़्ज़ों पे भरोसा करना,
घर की दहलीज़ पुकारेगी जिधर जाओगे|
निदा फ़ाज़ली
आसमान धुनिए के छप्पर सा
इतना आसाँ नहीं लफ़्ज़ों पे भरोसा करना,
घर की दहलीज़ पुकारेगी जिधर जाओगे|
निदा फ़ाज़ली