दहलीज़ पुकारेगी जिधर जाओगे!

इतना आसाँ नहीं लफ़्ज़ों पे भरोसा करना,
घर की दहलीज़ पुकारेगी जिधर जाओगे|

निदा फ़ाज़ली

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