शिकन-ए-ज़ुल्फ़-ए-अंबरीं क्यूँ है!

शिकन-ए-ज़ुल्फ़-ए-अंबरीं क्यूँ है,
निगह-ए-चश्म-ए-सुरमा सा क्या है|

मिर्ज़ा ग़ालिब

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