कुछ न पूछ क़यामत कहाँ कहाँ!

आई है कुछ न पूछ क़यामत कहाँ कहाँ,
उफ़ ले गई है मुझ को मोहब्बत कहाँ कहाँ|

फ़िराक़ गोरखपुरी

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