
आई है कुछ न पूछ क़यामत कहाँ कहाँ,
उफ़ ले गई है मुझ को मोहब्बत कहाँ कहाँ|
फ़िराक़ गोरखपुरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
आई है कुछ न पूछ क़यामत कहाँ कहाँ,
उफ़ ले गई है मुझ को मोहब्बत कहाँ कहाँ|
फ़िराक़ गोरखपुरी