
खो गया आज कहाँ रिज़्क़* का देने वाला,
कोई रोटी जो खड़ा माँग रहा है मुझसे| *रोजगार
जाँ निसार अख़्तर
आसमान धुनिए के छप्पर सा
खो गया आज कहाँ रिज़्क़* का देने वाला,
कोई रोटी जो खड़ा माँग रहा है मुझसे| *रोजगार
जाँ निसार अख़्तर