
सर-ए-शाम से रतजगा के वो सामाँ,
वो पिछले पहर नींद आने की रातें|
फ़िराक़ गोरखपुरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
सर-ए-शाम से रतजगा के वो सामाँ,
वो पिछले पहर नींद आने की रातें|
फ़िराक़ गोरखपुरी