
जुस्तुजू का इक अजब सिलसिला ता-उम्र रहा,
ख़ुद को खोना था कहीं और कहीं ढूँढना था|
राजेश रेड्डी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
जुस्तुजू का इक अजब सिलसिला ता-उम्र रहा,
ख़ुद को खोना था कहीं और कहीं ढूँढना था|
राजेश रेड्डी