जहाँ था ही नहीं, वहीं ढूँढना था!

दिल भी बच्चे की तरह ज़िद पे अड़ा था अपना,
जो जहाँ था ही नहीं उस को वहीं ढूँढना था|

राजेश रेड्डी

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