
दिल भी बच्चे की तरह ज़िद पे अड़ा था अपना,
जो जहाँ था ही नहीं उस को वहीं ढूँढना था|
राजेश रेड्डी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
दिल भी बच्चे की तरह ज़िद पे अड़ा था अपना,
जो जहाँ था ही नहीं उस को वहीं ढूँढना था|
राजेश रेड्डी