
ये दिल है कि जलते सीने में इक दर्द का फोड़ा अल्लहड़ सा,
ना गुप्त रहे ना फूट बहे कोई मरहम हो कोई निश्तर हो|
इब्न ए इंशा
आसमान धुनिए के छप्पर सा
ये दिल है कि जलते सीने में इक दर्द का फोड़ा अल्लहड़ सा,
ना गुप्त रहे ना फूट बहे कोई मरहम हो कोई निश्तर हो|
इब्न ए इंशा