चेतक की वीरता!

आज विशेष रूप से महाराणा प्रताप की वीरता की कथाओं को अपनी कविताओं के माध्यम से स्वर देने वाले स्वर्गीय श्यामनारायण पाण्डेय जी की एक प्रसिद्ध कविता शेयर कर रहा हूँ जो राणा प्रताप जी के घोड़े चेतक के कौशल और उसके बलिदान को दर्शाती है|

लीजिए प्रस्तुत है स्वर्गीय श्यामनारायण पाण्डेय जी की यह कविता –

रण बीच चौकड़ी भर-भर कर
चेतक बन गया निराला था
राणाप्रताप के घोड़े से
पड़ गया हवा का पाला था

जो तनिक हवा से बाग हिली
लेकर सवार उड़ जाता था
राणा की पुतली फिरी नहीं
तब तक चेतक मुड़ जाता था

गिरता न कभी चेतक तन पर
राणाप्रताप का कोड़ा था
वह दौड़ रहा अरिमस्तक पर
वह आसमान का घोड़ा था

था यहीं रहा अब यहाँ नहीं
वह वहीं रहा था यहाँ नहीं
थी जगह न कोई जहाँ नहीं
किस अरिमस्तक पर कहाँ नहीं

निर्भीक गया वह ढालों में
सरपट दौडा करबालों में
फँस गया शत्रु की चालों में

बढ़ते नद-सा वह लहर गया
फिर गया गया फिर ठहर गया
विकराल वज्रमय बादल-सा
अरि की सेना पर घहर गया

भाला गिर गया गिरा निसंग
हय टापों से खन गया अंग
बैरी समाज रह गया दंग
घोड़े का ऐसा देख रंग


(आभार- एक बात मैं और बताना चाहूँगा कि अपनी ब्लॉग पोस्ट्स में मैं जो कविताएं, ग़ज़लें, शेर आदि शेयर करता हूँ उनको मैं सामान्यतः ऑनलाइन उपलब्ध ‘कविता कोश’ अथवा ‘Rekhta’ से लेता हूँ|)

आज के लिए इतना ही,
नमस्कार|

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3 Comments

  1. vermavkv says:

    बहुत सुंदर।

    1. shri.krishna.sharma says:

      हार्दिक धन्यवाद जी।

  2. Lindo poema – चेतक की वीरता!
    आज विशेष रूप से महाराणा प्रताप की वीरता की कथाओं को अपनी कविताओं के माध्यम से स्वर देने वाले स्वर्गीय श्यामनारायण पाण्डेय जी की एक प्रसिद्ध कविता शेयर कर रहा हूँ जो राणा प्रताप जी के घोड़े चेतक के कौशल और उसके बलिदान को दर्शाती है|

    लीजिए प्रस्तुत है स्वर्गीय श्यामनारायण पाण्डेय जी की यह कविता – https://pflkwy.wordpress.com/2023/01/06/pele-a-lenda-o-mito-o-imortal/

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