
इक भीक के दोनों कासे हैं इक प्यास के दोनो प्यासे हैं,
हम खेती हैं तुम बादल हो हम नदियाँ हैं तुम सागर हो|
इब्न ए इंशा
आसमान धुनिए के छप्पर सा
इक भीक के दोनों कासे हैं इक प्यास के दोनो प्यासे हैं,
हम खेती हैं तुम बादल हो हम नदियाँ हैं तुम सागर हो|
इब्न ए इंशा