भद्रजन, भद्रलोक

अभी नया वर्ष शुरू हुआ है और एक-दो घटनाएं ऐसी हो गईं, देश-विदेश में और ऐसी जिनमें भारतीय शामिल थे| विशेष रूप से इन पर बात करने का विचार इसलिए भी आया कि ऐसी घटनाओं को फ़्लाइट्स में अंजाम दिया गया| वायुयान से यात्रा करने वाले लोग, कम से कम भारतवर्ष में काफी हद तक संपन्न माने जाते हैं और सामान्यतः यह भी माना जाता है कि जो अमीर है उसको भद्रजन कहा जाएगा, देशी और विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय फ्लाइट में यात्रा करने वाले, अधिक रईस और भद्रजन माने जाते हैं| यहाँ मैं विशेष रूप से उस घटना का उल्लेख करना चाहूँगा जिसमें अमरीका में रह रहे एक भारतीय ने खूब शराब पीने के बाद, सोती हुई एक वृद्ध महिला के ऊपर पेशाब कर दिया|


हमारे हवाई अड्डे, विशेष रूप से जहां से अंतर्राष्ट्रीय उड़ाने जाती हैं, वहाँ का वातावरण ऐसा होता है, कि अक्सर ऐसा लगता ही नहीं कि हम अपने हिंदुस्तान में हैं| अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों में विशेष रूप से यह सुविधा भी होती है कि यात्रियों को मदिरा उपलब्ध कराई जाती है और कुछ लोगों में मुफ़्त की इस सुविधा का भरपूर उपभोग करने की लालसा रहती है|

मुझे स्वर्गीय हरिवंश राय बच्चन जी की जीवनी का एक प्रसंग याद आता है| बच्चन जी ने अपनी जीवनी में एक व्यक्ति का उल्लेख करते हुए लिखा था कि उन्होंने उस व्यक्ति से ज्यादा पीने वाला कोई नहीं देखा, साथ ही उन्होंने यह भी लिखा था कि उस व्यक्ति से ज्यादा बड़ा सज्जन भी उन्होंने नहीं देखा था| स्पष्ट है कि कहीं कोई पीने के बाद दुर्व्यवहार करता है तो उसमें दोष शराब का नहीं है| सिर्फ इतना है कि शराब पीने के बाद लोग खुलकर अपने को अभिव्यक्त करने लगते हैं तथा उनकी अच्छाइयाँ और बुराइयाँ दोनों सामने आ सकती हैं| इस एक घटना के बाद एक-दो और भद्रजनों के दुर्व्यवहार की घटनाएं सामने आईं हैं, जिससे लगता है कि ऐसे भद्रजनों से वास्तव में उस तरह का व्यवहार किए जाने की आवश्यकता है, जैसा पुलिस वाले गरीब ठेले वालों, रिक्शे वालों के साथ करते हैं|

मुझे एक बात और याद आ रही है इस मौके पर, जब हमारे यहाँ एटीएम का चलन प्रारंभ हुआ, तब मुझे अचंभा हुआ और यह खयाल भी आया कि क्या अपने देश में यह सफल हो पाएगा| पैसे के लिए कुछ भी करने को तैयार लोगों को जब यह मालूम है कि सामने एक मशीन में ढेर सारे पैसे हैं, तब वे उसके लिए कुछ भी करने को तैयार हो सकते हैं| काफी समय तक तो सब ठीक चला फिर ऐसी घटनाएं सामने आने लगीं कि लोग एटीएम मशीन को उठा ले गए, या कैश वैन को ही लूट लिया|

एक और बात याद आ रही है, एक समय था जब, यूपी में कुछ इलाके ऐसे थे हैं, जहां से जब रात में कोई ट्रेन या बस गुजरती थी तब उसके लुटने का खतरा बना रहता था| मुझे याद है कि रात में चलने वाली बसों को एक जगह रोककर, उनको पुलिस गार्ड के साथ कुछ इलाकों से ले जाया जाता था| उस समय स्वर्गीय मुलायम सिंह जी या बहन मायावती की सरकार हुआ करती थी और यदि उन इलाकों में रहने वालों पर कोई कार्रवाई की जाए तो जातीय भेदभाव का आरोप भी लगाया जा सकता था|

ये अलग-अलग प्रकार की घटनाएं, नई और पुरानी इस प्रसंग में मुझे याद आ गईं, इन सबमें मुख्य बात यही है कि सभ्य समाज में, वो गरीब हों या अमीर, इंसानों के बीच जो जानवर पल रहे हैं, उनसे उचित ढंग से निपटे जाने की आवश्यकता है|

आज के लिए इतना ही, नमस्कार।

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2 Comments

    1. shri.krishna.sharma says:

      Thanks a lot ji.

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